जीवन में दरारें
जीवन के कई मोड़ पर,
रिश्तो के इस जंगल में,
लोगों के,
उलाहनों एवं बातों की
मार से,
न जाने कितने दिल
एवं रिश्ते टूटते हैं,
हर पल, हर क्षण।
इस युग में,
कोई किसी की,
चाहता ही नहीं सुनना।
हर प्राणी की,
बस यही है मनोकामना,
कि लोग उसकी सुने।
चाहे बात कर लो,
पिता-पुत्र की,
गुरु-शिष्य की,
सखी-सहेलियों की,
पति-पत्नी की,
भाई-बहन की,...
रिश्तो के इस जंगल में,
लोगों के,
उलाहनों एवं बातों की
मार से,
न जाने कितने दिल
एवं रिश्ते टूटते हैं,
हर पल, हर क्षण।
इस युग में,
कोई किसी की,
चाहता ही नहीं सुनना।
हर प्राणी की,
बस यही है मनोकामना,
कि लोग उसकी सुने।
चाहे बात कर लो,
पिता-पुत्र की,
गुरु-शिष्य की,
सखी-सहेलियों की,
पति-पत्नी की,
भाई-बहन की,...