...

14 views

कब तक यूंही,,,,
कब तक यूंही ये सिलसिला चलेगा,,
कब ख़तम होगा सफर, कब तक ये रास्ता चलेगा,,

तनहाईयों में घिरे लोगों में अब शुमार मेरा भी होगा,,
जूदाईयों का मौसम है अब तो फासला चलेगा,,

अब विरानियों में मैं और मेरी तन्हाइयों के संग,,
कुछ गुफ्तगू होगी,,कुछ मुकाल्मा चलेगा,,

मेरी दास्तानें इश्क़ ज़रूर बयां होगी उस वक़्त,,
जब भी कहीं कभी मोहब्बत का मुआम्ला चलेगा,,

दिल तो हार जाता है हर बार इश्क़ के आगे,,
चलो इस बार अक्ल का मोहब्बत से राब्ता चलेगा,,।।।
© Tahrim