...

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फ़िर नई सुबह होगी!
फ़िर कड़कती धूँप में छाँव मिलेगी,
फ़िर ये बंजर ज़मीन गुलशन से खिलेगी!
फ़िर लौटेंगी हमारे होंटों की मुस्कान,
फ़िर दोहराएँगे हम अपनी नई दास्तान!
फ़िर शुरू...