...

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क्या बताये हम...
दिल कुछ और कहता है,
नजर कुछ और कहता है।
क्या बतायें जनाब हम ,
तुम्हे इस दिल का आलम,
जो तुम सामने हो तो ,
जुंबा कुछ और कहता है।
कोशिश जारी है हमारी ,
मै नही काफिर की तरह,
बढती जा रही हूं,
एक मुशाफिर कर तरह,
कहूं क्या लफ्ज कुछ
यूं खामोश रहता है,
खामोश हूं मै और,
धडकन कुछ और कहता है।
दिल कुछ और कहता है,
नजर कुछ और कहता है।

© Savitri..