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रातें वैसी ही है।
कितनी आसानी से हम कह जाते है
किसी को जाने बिना
उनकी यादों में डूब जाते है,
कुछ बुरे, कुछ अच्छे कभी कुछ
अनसुलझे बातों संग उलझ जाते,
बदल कर भी रस्ता
दरवाज़े के दस्तक पर ग़ौर फरमाते है,
हर उस गुज़रती आवाज़ को सुन कर
पलट के रुक जाते है
किसी के तो इंतजार में है
मगर ना जाने क्यों
वो याद नहीं आते है।
#इंतज़ार
© tiwariastha
किसी को जाने बिना
उनकी यादों में डूब जाते है,
कुछ बुरे, कुछ अच्छे कभी कुछ
अनसुलझे बातों संग उलझ जाते,
बदल कर भी रस्ता
दरवाज़े के दस्तक पर ग़ौर फरमाते है,
हर उस गुज़रती आवाज़ को सुन कर
पलट के रुक जाते है
किसी के तो इंतजार में है
मगर ना जाने क्यों
वो याद नहीं आते है।
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