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तेरे माथे का टीका बन जाऊं
#WritcoPoemPrompt81
तेरे माथे का टीका बन कर , तुझे हर बुरी नजरों से बचाऊं
गर्म हवाएं भी तुझे छूने से कतराएं मैं तेरी वो ढाल बन जाऊं
तोड़कर खुशियों की तिजोरी मैं तेरे लबों पर मुस्कान सजाऊं
तुझ तक आने वाली गम की लहरों का मैं रस्ता मोड़ आऊ
कभी भूले से भी न आ सके हमारे बीच अतीत का कोई पन्ना
ताउम्र मैं तेरे साथ कुछ इस कदर सच्ची मोहब्बत निभाऊं
© rupali shrivastav
तेरे माथे का टीका बन कर , तुझे हर बुरी नजरों से बचाऊं
गर्म हवाएं भी तुझे छूने से कतराएं मैं तेरी वो ढाल बन जाऊं
तोड़कर खुशियों की तिजोरी मैं तेरे लबों पर मुस्कान सजाऊं
तुझ तक आने वाली गम की लहरों का मैं रस्ता मोड़ आऊ
कभी भूले से भी न आ सके हमारे बीच अतीत का कोई पन्ना
ताउम्र मैं तेरे साथ कुछ इस कदर सच्ची मोहब्बत निभाऊं
© rupali shrivastav
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