...

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स्वार्थ
जड़ हो चुकी संवेदना से प्रेमालाप को आतुर आशंकित भ्रमित से पूर्वाग्रहो को कंचन चंचलता कलंक लगे
पाशुविकता अहंकार तृप्ति
वर्चस्व की...