...

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कुछ ख्वाहिशें
कुछ ख्वाहिशें अधूरी रह गई।
कुछ को पूरा करने का मन न हुआ।
कुछ में तो हमारी ही कमी रह गई।
कुछ में तो किस्मत भी बुलंद न हुआ।
आज भी हमारी कश्ती बीच मझधार में
अटकी...