...

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कुछ ख्वाहिशें
कुछ ख्वाहिशें अधूरी रह गई।
कुछ को पूरा करने का मन न हुआ।
कुछ में तो हमारी ही कमी रह गई।
कुछ में तो किस्मत भी बुलंद न हुआ।
आज भी हमारी कश्ती बीच मझधार में
अटकी है किनारे तक जाने के लिए।
क्योंकि लोगों ने कहा कुछ खोना पड़ता है
कुछ पाने के लिए।
खोने को तो बहुत कुछ खो दिया
पर कुछ ख्वाहिशें अब भी पूरी न हो पाई।
अब छोड़ दिया हमने अपने अधूरी ख्वाहिशों की
कश्ती को बीच मंझधार में डूब जाने के लिए।


© shalini ✍️
#life