...

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"आज हम अपने घर जा रहे हैं "
आज हम अपने घर जा रहे हैं,
कई महिनो क बाद अपने शहर जा रहे हैं।
आज हमे कॉलेज से कुछ दिनों की छुट्टी मिली हैं,
ऐसा लग रहा जैसे किसी कैद से मुक्ति मिली हैं।
ट्रेन का ये ११ घंटो का सफर कट क्यो नहीं रहा,
ये मिलो का फ़ासला घट क्यो नहीं रहा।
अब इंतज़ार करना मुश्किल है,
अपनी खुशी का इकरार करना...