...

3 views

ग़ज़ल
अपनी हर एक चीज़ को अफ़ज़ल बताएगा
वो टाट की दरी को भी मख़मल बताएगा

दीवानगी जो मेरी कभी उस पे खुल गयी
मुम्किन है फिर वो भी मुझे पागल बताएगा

ज़ुल्फ़ें गुनाहगार थीं या चाँद की नज़र
बिजली गिरी किधर से ये आँचल बताएगा

तूने अगर छुपा भी लिया अपना हाले-दिल
हर दर्द तेरी आँख का काजल बताएगा

क्या फ़ैसला करूँ मैं अभी अपने बारे में
मैं जो भी दास्ताँ हूँ मेरा कल बताएगा


© All Rights Reserved