ग़ज़ल
अपनी हर एक चीज़ को अफ़ज़ल बताएगा
वो टाट की दरी को भी मख़मल बताएगा
दीवानगी जो मेरी कभी उस पे खुल गयी
मुम्किन है फिर वो भी मुझे पागल बताएगा
ज़ुल्फ़ें ...
वो टाट की दरी को भी मख़मल बताएगा
दीवानगी जो मेरी कभी उस पे खुल गयी
मुम्किन है फिर वो भी मुझे पागल बताएगा
ज़ुल्फ़ें ...