कर्म संहिता
कर्म कुकर्म करते जाते है
राम राम भजते जाते है।
बेवजह सच झूठ बोलते जाते है,
जीवन निर्वाह को जो हथकंडे
अपनाने पड़े वो करते जाते है।
संग ही संग पुजा पाठ प्रभू महिमा
गाते हुए अन्त: बैठुकधाम जाते है।
प्रभु की लीला है ही इतनी प्यारी
कि बस नाम से भक्त पर निसार हो जाते है।
उनके कर्म के प्रारब्ध में भागी
बन के कष्ट दूर कर जाते है।
इसी कर्म संहिता के आधार पर
रावण प्रभू को धरा पर पुकार जाते है।
महाभारत में भी सभी दुष्ट महारथी
मोक्ष की प्राप्ति कर जाते है।
अब सवाल है सबके तो परेशान
जब जीने को भजने को इसमें है शान
तो क्यूं नेक सत्य पर चले जाते है
जबाव बस इतनी सी सच्चे भक्त की,
जीवन का हर दुःख दर्द सहते हुए
प्रभू को धन्यवाद कहते जाते हैं ।
ईश प्रेम मे हर चाहत त्याग कर
बस प्रभू की मर्ज़ी का ख्याल
भरत और अर्जुन सा कर जाते है।
© Sunita barnwal
राम राम भजते जाते है।
बेवजह सच झूठ बोलते जाते है,
जीवन निर्वाह को जो हथकंडे
अपनाने पड़े वो करते जाते है।
संग ही संग पुजा पाठ प्रभू महिमा
गाते हुए अन्त: बैठुकधाम जाते है।
प्रभु की लीला है ही इतनी प्यारी
कि बस नाम से भक्त पर निसार हो जाते है।
उनके कर्म के प्रारब्ध में भागी
बन के कष्ट दूर कर जाते है।
इसी कर्म संहिता के आधार पर
रावण प्रभू को धरा पर पुकार जाते है।
महाभारत में भी सभी दुष्ट महारथी
मोक्ष की प्राप्ति कर जाते है।
अब सवाल है सबके तो परेशान
जब जीने को भजने को इसमें है शान
तो क्यूं नेक सत्य पर चले जाते है
जबाव बस इतनी सी सच्चे भक्त की,
जीवन का हर दुःख दर्द सहते हुए
प्रभू को धन्यवाद कहते जाते हैं ।
ईश प्रेम मे हर चाहत त्याग कर
बस प्रभू की मर्ज़ी का ख्याल
भरत और अर्जुन सा कर जाते है।
© Sunita barnwal