...

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मैं भारतीय पुरुष को जानती हूं
मैं भारत कि नारी हुँ मैं भारतीय पुरुष को जानती हुंँ
यहां नर और नारी दोनों आदरणीय है
यहां के पुरुष नारी को आदिशक्ति मानते हैं
हर पुरुष यहां रावण और दुर्योधन नहीं क्योंकि जब -जब सीता के चरित्र पर सवाल उठा
तब -तब लव-कुश जवाब देते नजर आए यहां
यहां हर पुरुष नारी विरोधी नहीं
क्योंकि
कृष्ण और सुदामा की दोस्ती आदरणीय है
मगर द्रोपती और कृष्ण की दोस्ती पूजनीय है
जो कहते हैं कि पुरुष और स्त्री दोस्त नहीं हो सकते तो माफ करिए
क्योंकि
कृष्ण वह पुरुष है जो द्रोपती के मान के लिए अपने कुल का ही सर्वनाश करा लिए
हां अगर तुम भीष्म और द्रोण के मौन को जानते हो
तो मैं भी विदुर के सवाल को जानती हूं जो अपने वधू के सम्मान में लिए किए गए थे
हां अगर तुम जानते हो सीता पर धोबी और नगर के लोगों के लगाए लांछन
तो मैं भी जानती हूं वाल्मिकी को जिन्होंने बेघर सीता को शरण दिया अपने आश्रम में
हां अगर तुम जानते हो दुशासन के दुस्साहस को
तो मैं भी जानती हूं अभिमन्यु और घटोत्कच के बलिदान को
हां अगर तुम जानते हो इंद्र के छल और ऋषि गौतम के श्राप को
तो मैं भी जानती हूं श्रीराम के चरण स्पर्श को
मैं तो शिव के उस स्वरूप को जानती हूं जिसमें माता सती को सिर्फ इसलिए मानसिक रूप से त्यागा क्योंकि वह माता सीता का रूप धारण कर श्री राम की परीक्षा ली थी
यहां हर पुरुष स्त्री विरोधी नहीं
मैं भारत कि नारी हुँ मैं भारतीय पुरुष को जानती हूं।


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