मानव-जीवन का खोता अर्थ
आधुनिता के छलावे में,
व्यावहारिकता के दिखावे में,
मानवीयता खो-सी रही है....
प्रसन्नताओं के प्रसून, से परे,
निराशाओं के तिमिर में घिरे,
आज के अधिकांश मनुज,
आत्म-अवलोकन को भूल...
व्यावहारिकता के दिखावे में,
मानवीयता खो-सी रही है....
प्रसन्नताओं के प्रसून, से परे,
निराशाओं के तिमिर में घिरे,
आज के अधिकांश मनुज,
आत्म-अवलोकन को भूल...