...

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एक ख़्वाब ✍️
वह जैसा भी ख्वाब था
मेरे लिए नायाब था
बागवान के गुलदस्ते का
वह कोई गुलाब था
अर्स के मानिद था जो
लाखों तूफान समेटे
आंखों से न निकले कभी
वो ऐसा आब था....✍️

© Tanha_Mushafir

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