मलंग
न पूछो यूँ सवाल रह रहकर,
क्या चाहें ये बावरा मन,
न ख्वाइश कोई न लगाव कोई,
अब उड़ना चाहें बावरा मन,
बहुत उलझ गई ज़िंदगी,
अब बेचैनियों का अंत ये चाहें,
ज़िंदगी की किताब को दोबारा,
कोरे कागज़ों से भरना चाहें,
© feelmyrhymes {@S}
क्या चाहें ये बावरा मन,
न ख्वाइश कोई न लगाव कोई,
अब उड़ना चाहें बावरा मन,
बहुत उलझ गई ज़िंदगी,
अब बेचैनियों का अंत ये चाहें,
ज़िंदगी की किताब को दोबारा,
कोरे कागज़ों से भरना चाहें,
© feelmyrhymes {@S}
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