...

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निमंत्रण
मैंने कभी निमंत्रण नहीं भेजा था इन गमो को अपने घर बुलाने का
ये तो आते रहते हैँ स्थाई मेहमान बन कर हम्हेशा की तरह

न चाहते हुए भी हनने सदा दुनिया की मर्जी का ही ख्याल रझा था..।।।....................... हम चाहते तो इंकार भी कर सकते थे लेकिन हमे रहना हैँ इसी दुनिया मे ओरो की तरह