...

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दूसरा बचपन
बुढ़ापा रोता खुद को ढ़ोता बस मदद पुकारा करता है ।
बदहाली से बुरे दिनों में अब अकेले गुजारा करता है।
बचपन के तो हैं मां और बाप उसे हो क्यों किसी का डर।
लाड प्यार जो करते उसको बुढ़ापे के दोनों गए हैं मर।
बचपन के कुछ दांत हैं निकले बुढ़ापे के सारे गए निकल।
उसको मां का दूध और आंचल उसे कुछ भी खाना...