...

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ओ बचपन का जमाना।
बचपन के पल कितने खास होतें हैं ,
ए बीत जाये तो क्या अहसास
हमेशा साथ होतें है ।
मां की ओ डांट,
मां की दुलार,
कितने प्यारे होतें है न,
ओ बचपन की प्यारी याद।
ओ दोस्तो के साथ खेलना,
न किसी को डराना,
न किसी से डरना।
मस्ती भरी जिन्दगी यूं ही
बीत जाते थे,
शाम होते ही जब हम
घर वापस आते थे,
बिना कुछ खाये ही
सो जाते थें।
ओ माम्मी का प्यार से जगाना,
अपने हाथों से खाना खिलाना।
न कोई टेंशन,न किसी का
आना जाना,
कितना आच्छा था न
ओ बचपन का जमाना।
© Savitri ❤️