...

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ये सर्द रातें
दिल में मीठा-मीठा सा दर्द और ये सर्द रातें,
भुलाए भूल नहीं सकी मैं तो वो बीती बातें।

तुमसे मिलकर ख़ुद को खो सा दिया था मैंने,
बड़ी याद आती है तुमसे वो हसीं मुलाकातें।

हरदम तेरा ही ज़िक्र करें मेरी साँसों की माला,
तेरी याद आए तो आँखों से होती है बरसातें।

तन्हाई ही तन्हाई पसरी हुई यहाँ पे दूर तलक,
सन्नाटो से आ-आकर तड़पाती तेरी आवाज़ें।

मोहब्बत के बदले कितने ग़म मिलें "पुखराज"
दर्द,आँसू,तड़प है ये सब मोहब्बत की सौगातें।

© पुखराज