...

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खामोशियां
तुम चले गए थे.... जाना ही था...... !
इसमे नया तो कुछ  भी नहीं था, कुछ अलग सा..कुछ जादू सा ...काश!!..... कि वक़्त वही ठहर जाता टाइप ..वक्त है और इसकी अपनी एक रफ्तार है ....इसका  चलना भी उसी रफ्तार का हिस्सा  है तो फिर शिकायत कैसी??
पर मै शिकायत तो कर ही नहीं रही ...

कभी-कभी ऐसा लगता है मुझे, कि हमारा मिलना, बिछड़ना सभी नियति के हाथों तय है।
वही मिलाती है  किसी खास मकसद से ..किसी खास अवधि तक ...!!
पर हमारा मिलना किस उद्देश्य की पूर्ति हेतु था??
लाख कोशिश कर के भी समझ नहीं पा रही हूँ।
खैर कुछ न कुछ तो रहा ही  होगा........!
एहसास स्पर्श का मोहताज नही होता।

तुम जा रहे थे और मै तुम्हे  जाते हुए अंतिम छोर तक देखती रही। मन में एक खालीपन सा भरता गया।
खालीपन..... कितना सालता है मन को
बिलकुल उदास सा ....!!
पर उदासी का भी तो अपने हिस्से का आसमान होता है ....जहाँ वो यादों की गोद में सुकूं के साथ सो जाना चाहता है। एक खूबसूरती समेटे हुए ।
हाँ, उदासी का भी तो अपना एक रंग होता है, और उस रंग के साथ उसे भी हक है खुश होने का, खूबसूरत दिखने का.....!!

आजकल अक्सर तुम दिख जाते हो मुझे।  बादलों के लंबे गुच्छे में, सुरमई  रंग मे लिपटे हुए । मुझे ढांप लेते हो और , बेसुध...बेबस .....तुम्हारे आगोश मे लिपटी ...मै भी तब बादल बन जाया करती हूँ। शायद वहीं एक घर बन जाता है हमारा.....
है न खूबसूरत .....!!

उस दिन मुझे ताप चढ़ गया था। आंखें जल रही थी...
मानो दहकते अंगारे ....गर्दन मे अजीब सी ऐंठन जैसे टूटने को बेताब.....

वो नीली नस जो बिलकुल गले से उतरती हुई पगडंडी सी  नीचे उतरती चली जाती है, जिस पर तुम्हारी नजरें अटक जाया करती थीं और जो तुम्हे  बेहद प्यारी थी, उस दिन दर्द से थोड़ी और नीली होकर उभर आई थी, तभी मैंने माथे पर तुम्हारा स्पर्श महसूस किया।
उफ्फ्फ इतना शीतल ....!!
इतना मुलायम, मानो रुई का फाहा....तुमने धीरे से मेरा नाम पुकारा....
सुनो....!!
क्या बहुत दर्द हो रहा है??
नहीं कहां?? मै दर्द मे भी हंस उठी।
ईश्वर से बस एक ही प्रार्थना! कि ये ज्वर कभी न उतरे ..
मै बस इस दर्द मे पिघलती रहूँ और तुम मुझे इसी तरह थामे रहो ....
मैंने कस के तुम्हारा हाथ जकड़ लिया था।
मुझे मत छोड़ना..कभी मत छोड़ना ...मैं खाई में गिर जाऊंगी ..
मैं तुम्हें कभी नहीं गिरने दुंगा ,कभी नहीं .....
मिश्री मे घुली आवाज ...
मैं और कसके तुम्हारा हाथ जकड़ लेती हूँ ...
दूर कहीं से गाने की आवाज आ रही है ...

तेरी ऊंची अटारी ....
मैने पंख लिए कटवाय ...