...

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सौंदर्य
सौंदर्य सर्वत्र संव्याप्त है,
बस
देखने के लिए
आंखें खोलनी है-
नभ की नीलिमा में,
रात्रि की कालिमा में,
टिमटिमाते सितारों में,
सूरज की लालिमा में,
चंन्द्रमा की चांदनी में,
फूलों के रंग और सुगंध
हरी दूब पर पड़े हुए ओस के कण,
मुर्गे की बांग,
चिड़ियों के गीत,
हवाओं का संगीत...
बचपन की किलकारियां में,
योवन के रस व उमंग में,
बुढ़ापे की अनुभवी झुर्रियों में,
पर्वत की ऊंचाई में,
सागर की गहराई में,
नदियों के प्रवाह में,
झरनों के प्रपातों में,
वन में,
उपवन में,
झुमते -नाचते वृक्षों में,
उनके प्रेम में विभोर लिपटी बेलों में,


#ॐ नमः शिवाय

© Robin Sir (Math Specialist)