...

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#तेरे मेरे दर्मिया
#मयखाने
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे
मुझसे रुठा रूठा जमाना है
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
निगाहे देखती नहीं कही तेरे सिवा
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मन नहीं लगता मेरा किसी ओर
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मैं खुद ही खींचा चला आता हूं तेरी ओर
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं

© Jagdish Chandra jd