सुन ज़िन्दगी
सुन ज़िन्दगी
क्यों बन गयी है अजनबी
कहने को तो है मेरी
फिर मेरे साथ क्यों नही
मेरी हर चाहत से तेरी दुश्मनी
ख्वाहिशें बिखरी बिखरी
हर उम्मीद टूटी हुई
ख़फ़ा ही रही
कहने को मेरी है मगर अपनी न हुई कभी
सुन ज़िन्दगी इतनी संगदिली अच्छी नही
© preeti- let's talk life
क्यों बन गयी है अजनबी
कहने को तो है मेरी
फिर मेरे साथ क्यों नही
मेरी हर चाहत से तेरी दुश्मनी
ख्वाहिशें बिखरी बिखरी
हर उम्मीद टूटी हुई
ख़फ़ा ही रही
कहने को मेरी है मगर अपनी न हुई कभी
सुन ज़िन्दगी इतनी संगदिली अच्छी नही
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