तेरे शहर को ये हुआ क्या है?
वक्त के कुछ बेवक्त से दोराहे पे,
इस रोज़ ज़िन्दगी जब,
एकाएक मिली मौत से,
मौत ने पूछा, ए रहगुजर,
बड़ी खामोशी है
तेरे ज़माने में आजकल,
बता तेरे शहर को ये हुआ क्या है?
ज़िन्दगी ने इक आह भरी
और बोली…
कुछ नहीं, बस एक मर्ज़ है,
ज़माना ये बेबस बहुत है
ये नहीं जानता के,
इस मर्ज़ की दवा क्या है?
गर हो तुम्हें मालूम,
तो तुम ही कहो,...
इस रोज़ ज़िन्दगी जब,
एकाएक मिली मौत से,
मौत ने पूछा, ए रहगुजर,
बड़ी खामोशी है
तेरे ज़माने में आजकल,
बता तेरे शहर को ये हुआ क्या है?
ज़िन्दगी ने इक आह भरी
और बोली…
कुछ नहीं, बस एक मर्ज़ है,
ज़माना ये बेबस बहुत है
ये नहीं जानता के,
इस मर्ज़ की दवा क्या है?
गर हो तुम्हें मालूम,
तो तुम ही कहो,...