...

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नात
वो क्यों है कैसे हैं ये क्या जहां जाने ?

मेरे हबीब का रुतबा मेरा खुदा जाने।



अर्श से फर्श पे आए हो शाहे गिल्मा।

चूम के तलवा ओ बोले ना तलवा जाने।



दर भी बोल रहा था बोल जंजीर रही थी।

रहे ता अर्स आका ये वक्त कैसे जाने ?



पहुंची के सिदरा पे बोले ओ सिदरा वाले।

यहां से आगे का रास्ता आप आका जाने



ये खुदा की है तजल्ली की जल जाए पर।

उनके नालैन का चर्चा नूरी गिल्मा जानी।
© abdul qadir