रात काली है।
रात काली है,
यूं ही टाली है।
ना होली थी,
ना दीवाली है।
मुरझाए फूल,
सूखी डाली है।
बजी कोरोना में,
घर-घर थाली है।
होली फीकी सी,
कोरंटिन साली है।
बरसा संकट है,
सूखी वाली है।
ना शाम सुहानी है,
ना ही लाली है।
भूख हुई गायब,
आगे थाली है।
मन एकाकी है,
दिल भी खाली है।
© 💕ss
यूं ही टाली है।
ना होली थी,
ना दीवाली है।
मुरझाए फूल,
सूखी डाली है।
बजी कोरोना में,
घर-घर थाली है।
होली फीकी सी,
कोरंटिन साली है।
बरसा संकट है,
सूखी वाली है।
ना शाम सुहानी है,
ना ही लाली है।
भूख हुई गायब,
आगे थाली है।
मन एकाकी है,
दिल भी खाली है।
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