मेरी क़लम...✍️
मैं और मेरी क़लम अक्सर बातें करते हैं...
मेरी क़लम के शुक्राने में चंद लफ्ज़ :-
“मेरी क़लम मुझे नहीं जज़्बात समझती है,
अल्फ़ाज़ो को नई माएना दिलाती है,
आंसुओं को अपनी सियाही बनाती है,
रूह को कागज़ के पन्नो पे दीखाती है,
रूसवाई रातों में फरिश्ता बन आती है,
दिल के एहसास को धड़कन...
मेरी क़लम के शुक्राने में चंद लफ्ज़ :-
“मेरी क़लम मुझे नहीं जज़्बात समझती है,
अल्फ़ाज़ो को नई माएना दिलाती है,
आंसुओं को अपनी सियाही बनाती है,
रूह को कागज़ के पन्नो पे दीखाती है,
रूसवाई रातों में फरिश्ता बन आती है,
दिल के एहसास को धड़कन...