दीदार ए हुस्न
कि जबसे देखा हूं अमावस में तुझे,
खुद से ही अनजाना हो गया हूं मैं॥
तेरी गलियों के चक्कर लगाते,
खुद से ही बेगाना हो गया हूं मैं॥
तेरे इश्क का मारा हो गया हूं मैं ,
हां कह लो आंवरा हो गया हूं मैं॥
© lafj
खुद से ही अनजाना हो गया हूं मैं॥
तेरी गलियों के चक्कर लगाते,
खुद से ही बेगाना हो गया हूं मैं॥
तेरे इश्क का मारा हो गया हूं मैं ,
हां कह लो आंवरा हो गया हूं मैं॥
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