मैं नहीं जानती
मैं ज़िंदगी जीना नहीं जानती,
बातों को, लोगों को, जाने देना नहीं जानती।
मेरे दुश्मन लोग व समाज नहीं हैं,
मैं अपने विचारों को सही दिशा देना नहीं जानती।
मेरा मन इतना बेलगाम हो चुका है,
लगाम कैसे...
बातों को, लोगों को, जाने देना नहीं जानती।
मेरे दुश्मन लोग व समाज नहीं हैं,
मैं अपने विचारों को सही दिशा देना नहीं जानती।
मेरा मन इतना बेलगाम हो चुका है,
लगाम कैसे...