...

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अनोखा मन
अनोखा मन ,
जो करना सब कुछ चाहे,
पर कर ना पाए कुछ,
जिसके मन में है ढेरो सवाल,
किसे पूछूँ, क्या पूछूँ, कैसे पूछूँ।

मन बोले कि
क्या हो अगर दिल ही पत्थर बन जाए?
क्या हो जब आशा ही छुट जाए?
क्या हो जब अपने ही मुड जाए?
क्या हो जब सांप भी उड़ने लगे?
किसे पूछूँ, क्या पूछूँ, कैसे पूछूँ।

क्यों कोई नही समझता मेरे दिल के हालात,
क्यों कोई नहीं सुनता मेरे मन की आवाज,
क्यों हर कोई लगाता है बेबुनियाद इल्जाम,
क्यों ये दिल रोता है, क्यों ये मन सिसकता है, क्या इसमें...