...

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शाम तेरे नाम
सुनो,
कुछ ख्वाहिशें जगी हैं दिल में मेरे
जो तस्वीर ने उकेरी हैं।
जैसे वो दिख रहे हैं ना,
बैठे चौखट पे, खोए हुए से लम्हे में
ऐसे बैठे हों कभी हम
किसी पुराने महल के पास...
ढलती शाम के साए में
मध्यम हवा के झोकों ने इन झुमकों से रुनझुन गजल के साज छेड़े हैं,
इन तरानों...