...

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सुकून
प्यार, दुलार, मनुहार
मां का आंचल, संसार
सुकून-ए-दिल और क़रार
छांव तले जब आऊं मैं ।

हिम्मत, विकास, मेरे जज्बात
पिता का हाथों में‌ हाथ
सुकून-ए-रूह और प्यार
नाम अपने संग पाऊं मैं ।

नोंक झोंक, रूठना मनाना
भाई-बहन का अटूट प्यार
सुकून-ए-जिदंगी और बहार
साथ साथ निभा जाऊं मैं ।

न अपेक्षा करें न उपेक्षा
यारों का सुंदर उपहार
सुकून-ए-दिल और क़रार
समूह अपना जब पाऊं मैं ।

हमसफर का साथ सुहाना
उम्र भर का अद्भुत नज़राना
सुकून-ए-रूह और प्यार
दिलदार संग, रच बस जाऊं मैं ।

प्रभु से स्वंय का संबंध
मनुष्य जन्म का वरदान
सुकून-ए-जिंदगी और बहार
नतमस्तक जब हो जाऊं मैं ।

रजनी भंडारी
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(स्वरचित)
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