...

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सुनो.… संभाल रखे हैं, मैंने तुम्हारे ख्वाब सभी...❤️
सुनो !
संभाल रखे हैं मैंने
तुम्हारे ख़्वाब सभी,
जब भी मिलोगे
सब कुछ महफूज़ मिलेगा
जस का तस ही..

वो दिन,
वो तारीख़
और समय,
सभी कुछ
रोक सा रखा है
चन्द लफ्जों में मैंने...

जब भी लौटना कभी तो
बस, एक दस्तक
देने भर की ज़रूरत होगी...
चन्द पन्नों में,
लम्हों के साथ
तुम्हारी यादें महफूज़ होगी....

तुम्हारे जाने के बाद
तुम्हें ही तो ओढ़ा है मैंने
बनाकर लिबास अपना,
तुम्हारी यादों का दामन
फिर भी,
कभी भी न छोड़ा मैंने...

सब कुछ सूना,
सा हो गया है
दामन तेरी यादों का,
पर आज भी
कुछ लम्हें साफ
नज़र आते हैं..

तुम्हारा वो इज़हार
वो घंटों बातें करना,
मुझमें वो ढल जाना तुम्हारा,
और तुममें बस जाना मेरा...

न जाने,
कैसे वो दिन आया,
जब तुम ज़ुदा हो गए मुझसे,
बस, ख़्यालों में ही रह गए..
पास आज भी उतने ही हो तुम
कि मानों ज़ुदा हुए ही नहीं
कभी भी मुझसे...

सुनो,
संभाल रखे हैं
वो सभी लम्हे,
तुम्हारे और मेरे,
जिनसे मिलकर
बन गए थे
कभी हम...❤️
~P.s