हर एक शख़्स..
हर एक शख़्स एक सा ही, हर शहर का निकला
ये तजुरबा ही मेरे मुक्कमल सफर का निकला..
हंसी चेहरे पे तबस्सुम ले मिला, याँ हर कोई
दिल टटोला तो, सभी का ही जहर का निकला..
अब तो तन्हाई में मिलता है यूँ सुकूं मुझको
शाम घर लौट के आया हो, सहर का निकला..
© Rajnish Ranjan
ये तजुरबा ही मेरे मुक्कमल सफर का निकला..
हंसी चेहरे पे तबस्सुम ले मिला, याँ हर कोई
दिल टटोला तो, सभी का ही जहर का निकला..
अब तो तन्हाई में मिलता है यूँ सुकूं मुझको
शाम घर लौट के आया हो, सहर का निकला..
© Rajnish Ranjan