...

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मैं लड़का हूं 😖😖
आओ मिलकर सुने आज की एक कहानी,
न राजा, न रानी, बस एक बच्चे की जुबानी।
उड़ रहे है पंछी सारे छू रहे गगन को,
कट चुके है पंख सारे मार रहा अपने मन को।

अपने से भारी, किताबो का बोझ लेकर
निकल पड़ा है, न जाने कौनसे इस सफर पर।
निभा सारी जिम्मेदारियां, चाहे तू डरकर
तू लड़का है, रो सकता है पर वो भी हसकर।

लड़कियों सै ज्यादा लड़को कि सुताई
पर क्यों बादमें एकता की कसने खिलाई
उनके लिए नए कपड़े, पर अपनी सिलाई
तू लड़का है, रोने के लिए आंखे भर आई।

बड़े हो चुके हो, पढ़ो अब तुम जमकर
रोते है हम भी माँ का घर छोड़कर
हर काम पूरा करो चाहे सब कुछ खोकर
तू लड़का है, रो सकता है पर वो भी हसकर।

मत हो उदास जिले अपने आज को
किस बात की है फिकर क्या देखा तूने कल को
दब चुके हो, उठाओ इस संसार के बोझ को
जिले अपनी जिंदगी क्या देखा तूने कल को।
© Vaibhav Patil