ख़्वाब बेअसर सा लगता हैं
मोहब्बत तुमसे है, पर ख़्वाब बेअसर सा लगता है,
तेरी बातों में घुला प्यार क्यों मुझे जहर सा लगता है!
कहने को तो सब अपने यहाँ, अनजान से शहर में,
वीरान सी राहो में साथ होकर दुशवार सा लगता है!
जहाँ गुंजती थी खुशियों की किलकारियां अताह,
भरी है महफ़िल सितारों से,सब बंजर सा लगता है!
जाने कौन ...
तेरी बातों में घुला प्यार क्यों मुझे जहर सा लगता है!
कहने को तो सब अपने यहाँ, अनजान से शहर में,
वीरान सी राहो में साथ होकर दुशवार सा लगता है!
जहाँ गुंजती थी खुशियों की किलकारियां अताह,
भरी है महफ़िल सितारों से,सब बंजर सा लगता है!
जाने कौन ...