ज़िन्दगी
ज़िन्दगी थी जो सौंधी सौंधी आजकल बड़े
फटे हाल हैं,
चल रहा हूं सीधा 'ताज' पर वक्त की तो
टेढ़ी चाल हैं,
तोड़ी कमर गरीबी ने अब महंगाई ने
पिचकाए गाल हैं,
यूं ना समझना आंसू बहाए हैं आँखें टूटे
सपनों से लाल हैं,
आज तक ना...
फटे हाल हैं,
चल रहा हूं सीधा 'ताज' पर वक्त की तो
टेढ़ी चाल हैं,
तोड़ी कमर गरीबी ने अब महंगाई ने
पिचकाए गाल हैं,
यूं ना समझना आंसू बहाए हैं आँखें टूटे
सपनों से लाल हैं,
आज तक ना...