...

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बस भाते भोले नाथ
सहमा सहमा सा मैं ,
कब तक रहूं।
हृदय की बातें अपनी ,
किससे कहूं।
किससे कहूं...
किससे कहूं...
मेरे बाबा,
तू अब आजा,
देदे शरण में सहारा।
मेरे बाबा ,
तू अब आजा,
आके गले से लगा जा।।

मुझको भावे न, भावे न, भावे न दुनिया,
बस भाते भोले नाथ।
मुझको भावे न, भावे न, भावे न दुनिया,
बस भाते भोले नाथ।
चलना जिसके संग, जिसके संग, जिसके संग,
मिल गया उसका साथ।
मुझको भावे न, भावे न, भावे न दुनिया,
बस भाते भोले नाथ।।

जब से बाबा मैं,
तेरा हुआ हूं,
मिट गए मोह मेरे सारे।
इंद्रियों के,
रथ से उतर के,
आया हूं मैं तो तेरे द्वारे।
प्रकृति से हुआ प्रेम है,
अब तो,
लगते हैं झूंठे रिश्ते सारे।
तुझसे कहूं सबकुछ,
तुझसे कहूं।
तुझसे कहूं सबकुछ,
तुझसे कहूं।
मेरे बाबा,
तू अब आजा,
देदे शरण में सहारा।
मेरे बाबा ,
तू अब आजा,
आके गले से लगा जा।।

मुझको भावे न, भावे न, भावे न दुनिया,
बस भाते भोले नाथ।
मुझको भावे न, भावे न, भावे न दुनिया,
बस भाते भोले नाथ।
चलना जिसके संग, जिसके संग, जिसके संग,
मिल गया उसका साथ।
मुझको भावे न, भावे न, भावे न दुनिया,
बस भाते भोले नाथ।।
बस भाते भोले नाथ.....
बस भाते भोले नाथ.....
🪷🪷🪷🪷🪷🪷
–ध्रुव
© हरिदास