...

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यह संसार
एक प्रसिद्ध कवि कहे थे,

सुरमा नहीं विचलित होते
क्षण तक नहीं धीरज खोते

पर मैंने सोचा , की
अगर यह सच होता
तब तशरीफ़ भिखमंगो का महल में होता।

और , अगर वे कांटों में राह बनाते
तो शरीर होता जख्मी उन कांटों से
और राह की बात तो दूर रहा
ढंग के कपड़े भी नसीब न होते।

और आशा मुझे है
और ज्ञात होगा आप को इस
बहरे, अंतहीन संसार का
फिर भी ऐसे आप बात करते।


© harry56tuyul