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इंतज़ार इश्क का...
#इंतज़ार

उन्होंने कहा वो आयेगी, #इश्क इंतज़ार है
हम कहे रहा नहीं जा रहा, हम बेजार हैं
सब कहे इंतज़ार इश्क का करके तो देखो
तुम ही कहोगे सब गुज़र के तो देखो

महफिल आगे बढ़ती गई
रात धीमे धीमे ढलती गई
चांद हमारी ज्यों खिल्ली उड़ाता
तारा भी एक एक उसका साथ निभाता

उसने कहा था मिलेगी वो रात को
जब चांद और तारे देंगे रोशनी
ठंडी मदमस्त पवन चलेगी जब
गुलाबों की क्यारी के पास वो मिलेगी तब

हम राह ताके खड़े थे
असमंजस में पड़े थे
जल्दी आजाओ जानेमन
आवाज़ तभीआई , छन छन छन
पायल है उसकी हमने सोचा
ठंड लगी तो लगा लोचा

ऐ साहेब हम आ गए
वादा अपना निभा गए
तुम देखो हमें प्यार से
ले जाओ दूर इस संसार से

सुना है ये बरगद मेरा कट जायेगा
बाग हमारा दो हिस्सों में बट जायेगा
होंगी यहां अब मॉल और ऊंची बिल्डिंग
खेलेंगे क्रिकेट और होगी फील्डिंग
लगेगा बाजार चलेगा सिनेमा
हम सब अब जायेंगे कहां

मैंने मुड़ के ज्यों ही देखा
आंखों को विश्वास ना हुआ
याद आई हनुमान चालीसा
दिल से निकली एक दुआ

वहां तो आधे उड़ते आधे हिलते
आधे पारदर्शी आधे चमकते चमकते
चार लोग मुझे दिख रहे थे, भूत जैसे लग रहे थे
सांस मेरे सूख रहे थे, मन उनके भी दुख रहे थे

दुखी थे बेचारे, हालात के मारे
गुलाबों की क्यारी के पास दिखते थे
कई वर्षों से ये भूत इस बाग़ में फिरते थे
मेरी जानेमन भी निकली इनमें से एक
विचार आए दिमाग में अनेक

उन्हीं में थी वो मेरी जानेमन
भूत तो डराते हैं, ये सुना था हमने
आज के डेवलपमेंट के चक्कर में
भूत भी मजबूर हुए मदद मांगने को
बंद करो इस जंगल के बरगद काटने को

अति सुंदर निकली मेरी जानेमन
मगर पारदर्शी और आधा सा था उसका बदन
ना जाने डर ना लगा उनसे क्यों मुझे आज
अंधेरे मेंं गिरी मुझपर उनकी व्यथा की गाज

गरीबों को तो झोपड़ियों से हटाया
जमीन के भूखों ने भूतों को भी है भगाया
जाग जाओ इंसानों जल्दी जाओ सुधर
वरना एक भी पेड़ न बचेगा इधर

मेरा इंतजार तो इश्क है ही
तुम किसका करोगे इंतजार
भगवान भी माफ नहीं करेगा
नरक का दुख भी न कर पाओगे इजहार...
















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