दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई ।
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
दिल्लगी ले आवारगी कर रहा कोई ॥
© Kapil Sareen
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई ।
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
दिल्लगी ले आवारगी कर रहा कोई ॥
© Kapil Sareen
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