...

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हवा
बाहर ही कही बैठी थी मै
हवा के संग बह रही थी मै
जब हवा ने अपना रूख बदला
उसी हवा को सह रही थी मै
सर उठा कर देखा
तो होठों पर मूस्कान आ गई
तेरा कोई अस्तित्व‌ नही
यही हवा से कह रही थी मै

© Bluemorpho