हवा
बाहर ही कही बैठी थी मै
हवा के संग बह रही थी मै
जब हवा ने अपना रूख बदला
उसी हवा को सह रही थी मै
सर उठा कर देखा
तो होठों पर मूस्कान आ गई
तेरा कोई अस्तित्व नही
यही हवा से कह रही थी मै
© Bluemorpho
हवा के संग बह रही थी मै
जब हवा ने अपना रूख बदला
उसी हवा को सह रही थी मै
सर उठा कर देखा
तो होठों पर मूस्कान आ गई
तेरा कोई अस्तित्व नही
यही हवा से कह रही थी मै
© Bluemorpho