सच्ची मित्रता
सच्चा मित्र संध्या का समय हवा चली सर सर सर। मेरी संवेदना को गयी झकझोर कर। एक जिज्ञासा जगी मन मस्तिष्क पर। मैंने हवा से पूछा तू क्यों चलती रहती हरदम। कभी थोड़ा रुककर आराम कर ले एक पल। आराम देता बल आगे आगे बढ़ने का। लक्ष्य आसान होता जिससे निज जीवन का। हवा ने कहा...