...

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बक्सा
कोई पुराना सा बक्सा वो
ढेरों यादें लेकर बैठा है
खोल तो सही उन यादों को
क्यूं ज़ख्म गहरे लेकर बैठा है
कोई याद पुरानी छूट गई
वक्त में लम्हा वो ठहरा है
कोई पुराना सा बक्सा वो
ढेरों यादें लेकर बैठा है

धूल की परत गहरी है
देख हाथ भी गंदा होगा
क्या यही सोचकर तू अब तक
हाथ छुपाए...