कड़वट- कड़वट इंतज़ार है.....
कल तक जो अंजान थी
आज जान खुद को
मुझे होने का मेरा ऐहसास है
कड़वट-कड़वट इंतज़ार है
पल वो आए जब मुझको ख़ुद से
मोहब्बत बेपनाह हो जाए
इतनी बेशुमार वाली मुझे शिद्दत हो खुद से
मेरी जगह मुझमें कोई दूजा बस न पाए
कड़वट-कड़वट इंतज़ार है
दूसरों की फिक्र में रहा करती थी
वक्त ऐसा भी आए
मुझको ख़ुद की परवाह करना आ जाए
इस मतलबी दुनियां में
मुझको थोड़ी चालबाज़ी भी ख़ुदा सीखा जाए
कड़वट-कड़वट इंतज़ार है
मुझको...
आज जान खुद को
मुझे होने का मेरा ऐहसास है
कड़वट-कड़वट इंतज़ार है
पल वो आए जब मुझको ख़ुद से
मोहब्बत बेपनाह हो जाए
इतनी बेशुमार वाली मुझे शिद्दत हो खुद से
मेरी जगह मुझमें कोई दूजा बस न पाए
कड़वट-कड़वट इंतज़ार है
दूसरों की फिक्र में रहा करती थी
वक्त ऐसा भी आए
मुझको ख़ुद की परवाह करना आ जाए
इस मतलबी दुनियां में
मुझको थोड़ी चालबाज़ी भी ख़ुदा सीखा जाए
कड़वट-कड़वट इंतज़ार है
मुझको...