...

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कड़वट- कड़वट इंतज़ार है.....
कल तक जो अंजान थी
आज जान खुद को
मुझे होने का मेरा ऐहसास है
कड़वट-कड़वट इंतज़ार है

पल वो आए जब मुझको ख़ुद से
मोहब्बत बेपनाह हो जाए
इतनी बेशुमार वाली मुझे शिद्दत हो खुद से
मेरी जगह मुझमें कोई दूजा बस न पाए
कड़वट-कड़वट इंतज़ार है

दूसरों की फिक्र में रहा करती थी
वक्त ऐसा भी आए
मुझको ख़ुद की परवाह करना आ जाए
इस मतलबी दुनियां में
मुझको थोड़ी चालबाज़ी भी ख़ुदा सीखा जाए
कड़वट-कड़वट इंतज़ार है

मुझको सुबह की होना शाम
फ़िर ढलती रात का सबेरा होना है
सूर्य की तपती अग्नि सा
मुझको ख़ुद को पाने के लिए जलना होगा
मुझको मैं से मेरा होना है
कड़वट-कड़वट इंतज़ार है

मुझको करना ख़ुद से प्यार
व देना इज़्ज़त बेहिसाब है
कल तक दूसरों के लिए जो करती थी
अब वो सब कुछ खुद के लिए करना है
कड़वट-कड़वट इंतज़ार है

स्वार्थ रग-रग में सबके भड़ा है
मासूमियत का जमाना नहीं रहा
थोड़ा बेगैरत भी होना पड़ेगा
थोड़ा छल-कपट भी सीख
अपना काम बनाना सीखना होगा
जो जैसा करे उसके साथ वैसा करना जायज़ है
ये बात मुझको ख़ुद को ही समझाना होगा
कड़वट-कड़वट इंतज़ार है
मुझको लाना ख़ुद में बहुत सा बदलाव है

कड़वट कड़वट इंतज़ार है.....


© The Unique Girl✨❤️