“हर हाथ का, मरहम लगाना, जरूरी तो नहीं”
पीसा क्यूं ??
ये बदन मेरा, दो सिलों(चक्की) में आके,
महफूज हालत पे, नजर लगाना, यूं ही तो नहीं,,
कुछ हाथ भी उठते हैं, जख्मों को कुरेदने के लिए,
हर हाथ का मरहम लगाना, जरूरी तो नहीं,,
पड़ोस में ही बैठे हैं, कई खोज-ख़बरी लोग,
नहीं तो मौत का, दहलीज तक आना, यूं ही तो...
ये बदन मेरा, दो सिलों(चक्की) में आके,
महफूज हालत पे, नजर लगाना, यूं ही तो नहीं,,
कुछ हाथ भी उठते हैं, जख्मों को कुरेदने के लिए,
हर हाथ का मरहम लगाना, जरूरी तो नहीं,,
पड़ोस में ही बैठे हैं, कई खोज-ख़बरी लोग,
नहीं तो मौत का, दहलीज तक आना, यूं ही तो...