...

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हर लफ़्ज़ तेरी नज़र
इसे अफसाना कहूँ
याँ के कहूं इसे
दीवानापन

लोग तो और
भी न जाने इसे
क्या कहते हैं

पर हां मैंने
किया है ये
तो लोग कहें
जो कुछ भी

" तुझे लफ़्ज़ लफ़्ज़ याद रखने में
मैंने पल पल खु़द को भुला दिया

तूने उसका जो कुछ सिला दिया
पर मैंने रिश्ता तुझसे वफ़ा किया "


© Mojiz Kalam