मुझे कमजोर मत बनाना....!
"मुझे"
कमजोर मत बनाना, वर्ना
रौशनी पर पैबंध लग जाएंगे
अंधेरों की कारगुजारी मालूम है ना,
जहां जुल्म कि कहानियां गढ़ी जाती है,
मेरे लिए....
एक छोटी सी खिड़की बहुत है
सारे बंद आप खुल जाएंगे,
मौसम....
मुझे नहीं बहलाता,
मेरी नींद....
मुझे ख़्वाब नहीं दिखलाते,
मैं....
हाथ बढ़ा लूं और तुम्हें छू लूं
बस....
हमारे दरमयां इतनी नजदीकी रहे....!
कमजोर मत बनाना, वर्ना
रौशनी पर पैबंध लग जाएंगे
अंधेरों की कारगुजारी मालूम है ना,
जहां जुल्म कि कहानियां गढ़ी जाती है,
मेरे लिए....
एक छोटी सी खिड़की बहुत है
सारे बंद आप खुल जाएंगे,
मौसम....
मुझे नहीं बहलाता,
मेरी नींद....
मुझे ख़्वाब नहीं दिखलाते,
मैं....
हाथ बढ़ा लूं और तुम्हें छू लूं
बस....
हमारे दरमयां इतनी नजदीकी रहे....!