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जो आ रहा समय, आने दो
रहे कोई कब तक उदास
मन नहीं है किसी का दास
जो सोच रखा है विधाता ने,
वो भेद सारे खुल जाने दो
जो आ रहा समय, आने दो

नियति का जो हैं खेल प्रबंध
दिख रहा सब कुछ मंद मंद
कर्मों को अपने रखो तैयार,
हो भाग्य जैसा उसे लाने दो
जो आ रहा समय, आने दो

जलता भविष्य धूं धूं कर
आकर वर्तमान को छू कर
झोली पसारा भूत भूतल सा,
भस्म को उसमें समाने दो
जो आ रहा समय, आने दो

जो मिला दुःख, हम अड़ेंगे
सुख के लिए निश्चित लड़ेंगे
एक नई क्रांति की चिंगारी से
अब नई मशाल जलाने दो
जो आ रहा समय, आने दो

© प्रियांशु सिंह
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