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इत्र की दुआ
इत्र ने मांगी दुआ
मंजूर है जल्द विलीन होने की सजा
ओझिल होने से पहले
रूबरू हूं प्रियों से जरा
यूंही न अंत हो
आवाज की भाती मैं भी अमर रहू
किसी की याद में
किसी की मुस्कान में
किसी को अपत्याशित मिले निदान में
मेरा भी योगदान है
यादों की बगिया का
मैं टेंपरेरी मेहमान हु
खुदा को खबर
मैं उनका एहशान हूं
बस हवा न हूं
मैं भी इंसान हूं।
© Vatika
मंजूर है जल्द विलीन होने की सजा
ओझिल होने से पहले
रूबरू हूं प्रियों से जरा
यूंही न अंत हो
आवाज की भाती मैं भी अमर रहू
किसी की याद में
किसी की मुस्कान में
किसी को अपत्याशित मिले निदान में
मेरा भी योगदान है
यादों की बगिया का
मैं टेंपरेरी मेहमान हु
खुदा को खबर
मैं उनका एहशान हूं
बस हवा न हूं
मैं भी इंसान हूं।
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